Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest
//

कैसे होगी आरक्षण की राह आसान राज्य सरकार और राज्यपाल के अपने अपने ताने बाने तकरार के बीच झूलता युवाओं का भविष्य....

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर तकरार बदस्तूर जारी है....या यूं कहें कि पेंच फसा हुआ है... राज्यपाल द्वारा मांगी गई 10 बिंदुओं की जानकारी भी राज्य ...

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर तकरार बदस्तूर जारी है....या यूं कहें कि पेंच फसा हुआ है... राज्यपाल द्वारा मांगी गई 10 बिंदुओं की जानकारी भी राज्य सरकार ने राजभवन भेज दी है... फिर भी राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराहट जारी है...ऐसे में छग की सियासत भी कुछ अलग रंग में नजर आ रहीं है....गौरतलब है की आरक्षण विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यपाल और राजभवन के विधिक सलाहकारों पर लगातार ज़वाल खड़े कर रहे है...एक बार फिर मुख्यमंत्री का बयान सामने आया है... जिसमे उन्होंने कहा है कि सब कुछ आदिवासी समाज के हित मे किया जा रहा है.. सीएम ने कहा कि अब तो भेंट मुलाकात कार्यक्रम में युवा सवाल कर रहे है की आखिर भर्ती क्यो नही हो रही... आदिवासियों ने भी इसके विरोध में बड़ा प्रदर्शन किया है..राज्यपाल को बिल वापस कर देना चाहिए.... सीएम ने कहा कि राज्यपाल केवल आरक्षण को टालने का बहाना ढूंढ रही है...आरक्षण पर तकरार बरकरार है... इस तकरार के बीच हम आपको उन 10 बिंदुओं की जानकारी दे रहें है जो राजभवन से राज्य सरकार से मांगी गई थी... सवाल और जवाब इस प्रकार है-
सवाल 1- क्या संशोधन विधेयक पारित करने से पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संबंध में मात्रात्मक डाटा कलेक्ट किया गया था ? उत्तर- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सीधी भर्ती के पदों के लिये मात्रात्मक 'डाटा दिये जाने की बाध्यता नहीं है और ना ही कोर्ट का ऐसा कोई आदेश है.. अन्य पिछड़े वर्ग और ईडब्लूएस के लिये क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़े और रिपोर्ट को आधार बनाया गया है... सवाल 2 - सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों में ही हो सकता है, इसलिये उक्त विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों को उपलब्ध करायें ? उत्तर- विधेयक में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण इसलिये किया गया है क्योंकि राज्य में इन जातियों की स्थिति शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर बहुत कमजोर है, साथ ही न प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है... क्वांटिफायबल डाटा की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अंत्योदय राशन कार्डों की संख्या 14 लाख से अधिक है जिसमें 5 लाख 88 हजार से अधिक सिर्फ ओबीसी वर्ग के अंत्योदय कार्ड है... इससे पता चलता है कि राज्य में ओबीसी की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है... सवाल 3 - उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ऐसी क्या विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हुई कि आरक्षण का प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक हो गया, क्या इन विशेष परिस्थितियों के संबंध में को डाटा कलेक्ट किया है? उत्तर- शासन ने सितंबर 2019 में क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन किया था उसी की रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी और ईडब्लूएस के डाटा को आधार बनाया गया है... सवाल 4 - राज्य के एससी, एसटी वर्ग के लोग किस प्रकार से राज्य में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुये हैं, डाटा प्रस्तुत करें ? उत्तर- आरक्षण देने हेतु एससी, एसटी वर्ग के लोगों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के डाटा की कोई जरूरत नहीं है... जबकि और ईडब्यूएम के लिये क्वांटिफायबल डाटा आयोग कि रिपोर्ट को आधार बनाया गया है... सवाल 5 - क्या सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का जानने के लिये किसी कमेटी का गठन किया गया था ? उत्तर- सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन किया गया है,उक्त रिपोर्ट 21 नवंबर 2022 को प्रस्तुत की गयी है... सवाल 6- क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल के सचिवालय के समक्ष प्रस्तुत करें ? उत्तर - क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट शासन को 21 नवंबर 2022 को प्रस्तुत की जा चुकी है... सवाल 7 - प्रस्तावित संशोधित अधिनियम में विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है? उत्तर- शासन ने विधि और विधायी कार्य विभाग द्वारा मूल विधेयक में परिमार्जन कराकर...सभी नियमों का पालन करते हुये विधानसभा सचिवालय को आगामी कार्रवाई हेतु भेजा... सवाल 8- संशोधित विधेयक के शीर्षक में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का कोई उल्लेख नहीं है.. क्या शासन को इस वर्ग के लिये अलग से अधिनियम लाना था ? उत्तर- राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 अधिनियम, 1994 कहलायेगा अलग से संशोधन विधेयक लाना कानूनी रूप से ठीक नहीं है... सवाल 9 - शासन ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत सारणी में कहा था कि सेवाओं में एससी, एसटी वर्ग के लोग कम चयनित हो रहे हैं, उनके पद रिक्त रह जाते हैं.. यह सूचित करें कि इस वर्ग के लोग राज्य में क्यों चयनित नहीं हो रहे ? उत्तर- उक्त सारणी में दिये गये आंकड़े 2012 के पहले के हैं...वर्तमान में निर्धारित आरक्षण प्रतिशत के आधार पर एससी, एसटी वर्ग के लोगों का शासकीय सेवा में चयन किया जा रहा था... आरक्षण न होने से इन वर्गों के चयन में कमी आयेगी... सवाल - 10- क्या उक्त संशोधन विधेयक में प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है ? और क्या इस संबंध में कोई सर्वेक्षण किया गया है ? उत्तर- शासकीय सेवकों की सालाना गोपनीय प्रतिवेदन के आधार पर उनकी दक्षता का आंकलन किया जाता है...राज्य की सेवाओं में एसटी, एससी वर्ग के लोगों का पर्यात प्रतिनिधित्व नहीं है.. और राज्य में पूर्व से संचालित आरक्षण नीति से किसी भी तरह की प्रशासनिक दक्षता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है...
वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी इस मामले को अपनी तरह से भुनाने में लगी है...बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में कहा है कि प्रदेश आज आरक्षण की आग में जल रहा है... इसके दोषी स्वयं मुख्यमंत्री है... बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल किया है कि 4 सालों से सरकार ने, 58 फीसदी आरक्षण को बरकरार रखने के लिए क्या किया...यहां तक की बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को छत्तीसगढ़ के नौजवानों के कैरियर किलर सरकार करार दिया है... बीजेपी ने कुछ दस्तावेज के माध्यम से कहा है कि हाईकोर्ट ने भी सरकार से पूछा था कि 58 फीसदी आरक्षण को जीवित रखने के लिए सरकार के पास दस्तावेज है.... या कोई आधार है कि ? ... भाजपा ने सरकार से श्वेत पत्र जारी करके आरक्षण विषय पर अपना स्पष्ट पक्ष रखने की मांग की है....
आरक्षण मामले में पक्ष और विपक्ष में बयान बाजी नहीं थम रही है... एक तरफ सत्तापक्ष राजभवन और राज्यपाल को इस पूरे मामले में बीजेपी के दबाव का आरोप लगा रही है... तो दूसरी तरफ बीजेपी इस पूरे विषय पर सरकार को दोषी ठहरा रही है ...लेकिन सवाल यह है कि इस सब के बीच प्रदेश का युवा जो अपनी भर्ती का इंतजार कर रहा है, जो लंबे समय से तैयारी कर रहा है....वे युवा जो एडमिशन के लिए राह ताक रहे हैं...उनका क्या होगा यह अब तक साफ नही हो पा रहा है... राजभवन के सवाल और राज्य सरकार द्वारा दिये गए जवाब से भी यह स्पष्ट नही हो पा रहा है कि आरक्षण का पटाक्षेप होगा या नही... फिलहाल मामला अभी भी अटका हुआ है... आने वाले दिनों में आरक्षण का लाभ राजनैतिक पार्टियों को तो मिल जाएगा.. लेकिन युवाओं के हिस्से का समय लौटकर नहीं आएगा।

No comments

//