बालोद-इस समय जहां देश दो धर्मों में बंटा हुआ नजर आ रहा है...वहीं छग के बालोद में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिल रहीं है..और ये मिसाल आज य...
छग के बालोद जिले के गुंडरदेही नगर के बाजार चौक में स्थित है माता चंडी का मंदिर दोहरी आस्था का केंद्र है...इस मंदिर के करीब 300 मीटर के दायरे में चार से पांच मंदिर के अलावा मस्जिद और मजार भी है...निश्चित ही..इस क्षेत्र में हिन्दू धर्म और मुस्लिम संप्रदाय के लोग बहुलता में रहते है....लेकिन इस ऐतिहासिक मां चंडी देवी मंदिर में माता की मूर्ति के ऊपर लगें हरे रंग के झंडे की अलग ही कहानी है...जानकार बताते है कि सैकड़ों साल पहले ठाकुर राजा निहाल सिंह के पूर्वजों को रामसागर तालाब से माता की एक मूर्ति मिली थी...ये मूर्ति अकेले नहीं मिली थी ...बल्कि मूर्ति के साथ चांद नुमा एक आकृति भी मिली थी...ये आकृति ठीक वैसी ही थी ...जैसी झंडे में दिखाई दे रहीं थी...फिर क्या था राजा निहाल ने धार्मिक भावनाओं को सम्मान देते हुए दोनों को एक ही स्थान में स्थापित कर दिया..जिसकी वो नियमित पूजा-पाठ किया करते थे...उनके परिवार के लोग आज भी ये परंपरा निभा रहें है...इतना ही नहीं, तब से लेकर आज तक हिन्दुओं के साथ मुस्लिम भी इस मंदिर में पूजा पाठ करते है....यहां तक की उर्स में मजार में चढ़ने वाली पहली चादर इसी मंदिर से जाती है...त्यौहार चाहे हिन्दुओं का हो या मुस्लिम का दोनों धर्म के लोग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है...इतने लंबे अर्से के बाद भी इन दोनों धर्म के लोगों के बीच कोई विवाद की स्थिति नहीं बनी...क्योंकि ये अच्छे से जानते है कि..जो आनंद मिलकर रहने में है वो अलग -थलग रहने में नहीं।
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